
दोस्ती कहने को एक शब्द है लेकिन इसमे किसी की दुनिया समा सकती हीकुछ
पंक्ति है शायद अपने पहले बहुत सुनी होगी..........
"दोस्ती शायद ज़िंदगी होती है,
जो हर दिल मैं बसी होती है,
वैसे तो जी लेते है सभी अकेले,
फिर भी इसकी ज़रूरत हर किसी को होती है"
मेरे ख्याल से दोस्ती जीने का नाम है , निभाने का नही...............
हर दिल मैं कही ना कही दर्द छुपा होता है, ओर हर किसी का इसे बया करने का अंदाज़ जुदा होता है
कुछ लोग इससे आँखो से बया कर देते है ओर कुछ लोगो की हसी मैं ये छुपा होता है।
जिसकी पहचान केबल एक दोस्त को हे होती हैये कुछ पंक्ति है जो आपको दोस्ती का
एहसास कराएगी.........................
"दोस्ती नाम नही सिर्फ़ दोस्तो के साथ रहनेक़ा,
बल्कि दोस्त ही ज़िंदगी बन जाते है दोस्ती मैं...........
ज़रोरूरत नही पड़ती दोस्त की तस्वीर की,
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते है, दोस्ती मैं..........
ये तो बहाना है की मिल नही पाएदोस्तो सेआज ,
दिल पे हाथ रखते ही अहसास उनके हो जाते है दोस्ती मैं...........
नाम की तो ज़रूरत नही पड़ती इस रिश्ते मैं कभी ,
पूछे नाम अपना ओर दोस्तो का बताते है दोस्ती मैं.................
कों कहता हैकी दोस्त हो सकते है ज़ुडा कभी,
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते है,दोस्ती मैं.......
सिर्फ़ भ्रम है, की दोस्त होते है अलग अलग,
दर्द हों इनको ओर आँसू उनके आते है दोस्ती मैं..............
माना इश्क है खुदा प्यार करने वालो के लिए "अभी",
लेकिन हम तो अपना सिर झुकते है, दोस्ती मैं..........
ओर एक ही दावा है गम की दुनिया मैं क्यौकी,
भूल के सारे गम दोस्तो के साथ मुस्कुराते है दोस्ती मैं..........
"दोस्ती शायद ज़िंदगी होती है,
जो हर दिल मैं बसी होती है,
वैसे तो जी लेते है सभी अकेले,
फिर भी इसकी ज़रूरत हर किसी को होती है"
मेरे ख्याल से दोस्ती जीने का नाम है , निभाने का नही...............
हर दिल मैं कही ना कही दर्द छुपा होता है, ओर हर किसी का इसे बया करने का अंदाज़ जुदा होता है
कुछ लोग इससे आँखो से बया कर देते है ओर कुछ लोगो की हसी मैं ये छुपा होता है।
जिसकी पहचान केबल एक दोस्त को हे होती हैये कुछ पंक्ति है जो आपको दोस्ती का
एहसास कराएगी.........................
"दोस्ती नाम नही सिर्फ़ दोस्तो के साथ रहनेक़ा,
बल्कि दोस्त ही ज़िंदगी बन जाते है दोस्ती मैं...........
ज़रोरूरत नही पड़ती दोस्त की तस्वीर की,
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते है, दोस्ती मैं..........
ये तो बहाना है की मिल नही पाएदोस्तो सेआज ,
दिल पे हाथ रखते ही अहसास उनके हो जाते है दोस्ती मैं...........
नाम की तो ज़रूरत नही पड़ती इस रिश्ते मैं कभी ,
पूछे नाम अपना ओर दोस्तो का बताते है दोस्ती मैं.................
कों कहता हैकी दोस्त हो सकते है ज़ुडा कभी,
दूर रहकर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते है,दोस्ती मैं.......
सिर्फ़ भ्रम है, की दोस्त होते है अलग अलग,
दर्द हों इनको ओर आँसू उनके आते है दोस्ती मैं..............
माना इश्क है खुदा प्यार करने वालो के लिए "अभी",
लेकिन हम तो अपना सिर झुकते है, दोस्ती मैं..........
ओर एक ही दावा है गम की दुनिया मैं क्यौकी,
भूल के सारे गम दोस्तो के साथ मुस्कुराते है दोस्ती मैं..........
तुम्हारे ब्लॉग का ब्लॉगजागत में और पहली पोस्ट का ब्लॉग में स्वागत है,
ReplyDeleteबहुत खुशी हुई ये देखकर की तुम्हारी पहली पोस्ट का विषय दोस्ती है ....
मैं तुम्हारी तरह खूबसूरत शब्दों में तो दोस्ती की व्याख्या नही कर सकता पर मेरी ज़िंदगी के कुछ लम्हों से उदाहरण चुराकर कोशिश ज़रूर कर सकता हूँ ...
उदाहरण 1 :- किसी दोस्त से मिलने दूसरे शहर में उसके घर जाना और फिर लौटने के किराए के पैसे उसी से माँगना दोस्ती है ....
उदाहरण 2 :- अपनी पहली विदेश यात्रा से लौटते ही बिना घर फोन किए दोस्त की शादी में चल देना , और वो भी बिना रिज़र्वेशन 35 घंटे की यात्रा (जो जनरल डिब्बे से शुरू हो)..... हवाई जहाज़ से उतरकर जनरल डिब्बे तक की ये यात्रा दोस्ती है .....
उदाहरण 3 :- किसी दोस्त की चेहरे की शिकन देखकर चुपके से उसके पर्स में पैसे रख देना दोस्ती है
मेरे लिए तो यही दोस्ती है और शायद इससे भी ज़्यादा ....
Very true kya Apke sath aisa hua
Deleteमाना इश्क है खुदा प्यार करने वालो के लिए "अभी",
ReplyDeleteलेकिन हम तो अपना सिर झुकते है, दोस्ती मैं..........
इन दो खूबसूरत पंक्तियों ने मुझे अपना एक पुराना शेर याद दिला दिया ....
उफ़, ये कैसी मुश्किल घड़ी आन पड़ी है ...
दोस्ती और मुहब्बत में जंग छिड़ी है ...
ए मुहब्बत आज तुझे झुकना ही होगा ...
मेरे लिए दोस्ती, मुहब्बत से बड़ी है ....
वो मेरा रकीब है यारो
ReplyDeleteदिल के पर करीब है यारो,
ठान ली उसने दुश्मनी
भूलता दोस्ती नहीं http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
दोस्ती..........ह्म्म्म्म्म्म्म.....इस बारे में मैं क्या कहूँ....मैं तो कुछ भी नहीं जानता....अलबत्ता इसके लिए जान अवश्य दे सकता हूँ.....!!
ReplyDeleteब्लोगिंग जगत में स्वागत है
ReplyDeleteलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
सुन्दर रचना के लिए बधाई
Vaise to pooree kavita hee bahut sundar hai ,lekin in panktiyon ne vakayee dostee ke bare men sab kuchh bata diya...
ReplyDeleteसिर्फ़ भ्रम है, की दोस्त होते है अलग अलग,
दर्द हों इनको ओर आँसू उनके आते है दोस्ती मैं..............
माना इश्क है खुदा प्यार करने वालो के लिए "अभी",
लेकिन हम तो अपना सिर झुकते है, दोस्ती मैं..........
apko hardik badhai.
Poonam
भावनाभरा...शब्दों की रिमझिम ऐसे ही बरसती रहे...दोस्त मिले तो ऐसा ही, जिसके लिए जान दी जा सके, जो जान दे सके...आपको भी मिले ऐसा साथी...यही शुभकामनाएं. कभी चौराहे (www.chauraha1.blogspot.com) पर भी आएं.
ReplyDeleteस्वागत, शुभकामनाएं।
ReplyDeletebahut achha likha hai apne..aur ummid hai ki age bhi is se badhiya lekh likhte rahenge....bahut bahut subhkamnay...sankar-shah.blogspot.com
ReplyDeleteस्वागत ब्लॉग दोस्तों में.
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