ये कुछ पंक्तियाँ है जो सभी कभी ना कभी अपनी ज़िंदगी मैं महसूस करते हैं मुझे ऐसा लगता ये पल सबकी ज़िंदगी में एक बार ज़रूर आता है..............जब हम इस बारे मैं सोचने पर मजबूर हो जाते है..................
दिन रात बरसता हो वो बादल नहीं देखा,
उन आखों की तरह कोई पागल नही देखा........
उसने भी कभी नींद से रिश्ता नहीं देखा,
मैने भी कोई ख्याब मुकम्मल नहीं देखा..............
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा...........
ये फूल तो मिले हैं मुझे विरासत मैं,
किसी ने मेरा कांटो से भरा दामन नहीं देखा................
Saturday, April 4, 2009
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bahut achche lekin antim do line aonee taraf se dalne men chook ho gayee na.
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